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मशीन नहीं इन्सान हूँ मैं, चाहिए थोड़ा सा आराम। नमस्

मशीन नहीं इन्सान हूँ मैं, चाहिए थोड़ा सा आराम। नमस्ते प्रिय लेखको।

लिखने के लिए सब से पहले अभिव्यक्ति करना बहुत आवश्यक है। ज़रूरी नहीं कि हम बड़ी बड़ी कविताएं लिखें तभी लेखक बन सकेंगे। 
शुरुआत छोटे छोटे विचारों को अपने शब्दों में पिरोने से की जा सकती है।

दोहे की इस पंक्ति को पूरा करें।

#घरलौटे
मशीन नहीं इन्सान हूँ मैं, चाहिए थोड़ा सा आराम। नमस्ते प्रिय लेखको।

लिखने के लिए सब से पहले अभिव्यक्ति करना बहुत आवश्यक है। ज़रूरी नहीं कि हम बड़ी बड़ी कविताएं लिखें तभी लेखक बन सकेंगे। 
शुरुआत छोटे छोटे विचारों को अपने शब्दों में पिरोने से की जा सकती है।

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