कितने स्वार्थी हो गए है नये दौर के रिश्ते, कितना अहम् है हमारा रिश्ता, नयन तेरे बताते हैँ तेरे जितना ख्याल मेरा कौन रख सकेगा, थाली मे बैगन का भरता, हरी चटनी कौन रख सकेगा, चूल्हे पर वो मोटी पानी वाली रोटी कौन पब् सकेगा, संभाल कर साल भर ढोलची मे घी, मेरे लिए कौन रख सकेगा वो पाटो की चक्की से लाडू के, बाज़रे को कौन पीस सकेगा, वो गेंहू की टंकी मे कच्चे आम, मेरे लिए पकने को कौन रख सकेगा ©Prem kumar gautam #MothersDay2021