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देखकर आज इस शाम का मंजर, कुछ कहने को जी चाहता है क

देखकर आज इस शाम का मंजर,
कुछ कहने को जी चाहता है
किरनें जा रहीं हैं देकर पैगाम
कोई चांद,चांदनी का पयाम देने आ रहा है
पक्षियों की चहचहाहट गवाह है इस बात की
कि कोई अपने बसेरे में खोने जा रहा है
कि कोई अपने बसेरे में खोने जा रहा है।

©virutha sahaj #मंज़र इक शाम का
देखकर आज इस शाम का मंजर,
कुछ कहने को जी चाहता है
किरनें जा रहीं हैं देकर पैगाम
कोई चांद,चांदनी का पयाम देने आ रहा है
पक्षियों की चहचहाहट गवाह है इस बात की
कि कोई अपने बसेरे में खोने जा रहा है
कि कोई अपने बसेरे में खोने जा रहा है।

©virutha sahaj #मंज़र इक शाम का