Read the story in caption.. लोकडाउन के इस वक़्त में हम सब अपडेट रहना चाहते हैं न्यूज से, ताकि हम जान सके के COVID 19 के इस वक़्त कहां कितना प्रकोप है। ये जानकारी भी बहुत ज़रूरी है के क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए इससे बचे रहने के लिए और बाहर कम से कम जाने के लिए। हालाकि जो न्यूज हम नहीं देख पाते वो कोई न कोई कभी न कभी बातों बातों में फोन पर या सोशल मीडिया पर बता ही देता है। बल्कि ये जानकारी के लिए अच्छी बात है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है दुनिया में जो जानकारी और सावधानी के साथ डर का सहारा ले कर जी रहे हैं। एक छोटा सा सिम्पटम, इतनी जानकारी के बाद भी, इतना डरा देता है कि बंदा साइकोलॉजिकल इफेक्ट और रियल इफेक्ट में फर्क ही भूल जाता है। वो सवाल करने लगता है उस डॉक्टर से जो उसे एंटरटेन नहीं कर रहा ज़ादा क्योंकि अभी वो उन केसेस पे ध्यान देना चाहता है जिससे इस बीमारी से लड़ा जा सके और इसकी रोकथाम की जा सके। ये डर जब किसी भी दिमाग पे हावी हो जाता है ना तब वो आपको हर तरह के जकड़ लेता है। आप फिर हर एक छोटी चीजों की दवा ले लोगे, लेकिन जब यही डर आपकी आदतों में शामिल हो जाए तो आप दवा पे दवा लेने लगते हो। दवा से आप ठीक भी हो जाते हो लेकिन आप ये नहीं समझ पाते के इस वक़्त तो आप बच गए लेकिन ज़ादा दवा का सेवन करने से आप दूसरी बीमारियों को बुलावा से देते हो। इसलिए मेरी आपसे विनती है की जानकारी अर्जित कीजिए लेकिन डर ना तो खुद में फैलने दीजिए और ना ही फैलाइए। हो सकता है आपके खुद के डर से दूसरा इतना डर जाता है के खुद को अलग तरीके से बीमार कर बैठता है।