भोर की किरणें, छनछन के आती.. खिड़की से झांकती. और मेरे रेडियो पर विविध भारती.... कभी कभी कानों मे, अब भी है गुनगुनाती... और आवाज लगाती.. भाईयों और बहनों... ......... #विविधभारती #रेडियो #yourquotes #tulikagarg #सुप्रभात