माज़ी के किस्सों से घबरा रहा हूं मैं हां, फ़िर एक बार तेरे क़रीब आ रहा हूँ मैं एक बार फ़िर फ़ज़ा में कुछ नयापन सा है हां, फ़िर एक बार रंगीं मिज़ाज होता जा रहा हूँ मैं यह परिंदें भी अब कोई सुरीली धुन छेड़ते हैं हां, फ़िर एक बार कोई हसीं गीत गुनगुना रहा हूँ मैं चांद तारे भी जगमगा रहें हैं तेरी आंखों की तरह हां, फ़िर एक बार ख़्वाबों के फ़लक में गोते खा रहा हूँ मैं 53/365 #माज़ी #प्यार #एहसास #365days365quotes #writingresolution #bestyqhindiquotes #yqdidi #aprichit