Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक नामुकम्मल दास्तां (भाग: तृतीय (प्रथम)) अनुशिर

एक नामुकम्मल दास्तां

(भाग: तृतीय (प्रथम))

अनुशिर्षक में पढ़ें माँ ने उसे कम से कम पच्चीस बार फ़ोन मिलाया होगा। हर बार एक ही ज़वाब, "जिस ग्राहक से आप बात करना चाह रहे हैं, वो या तो बंद है या पहुँच से बाहर है" आता था। आज उसका जन्मदिन था। पर वो तो सुबह ही घर से निकल गया था ये बोल के कि वो सीधे रात को आयेगा घर और उसका फ़ोन भी दिन भर बंद रहेगा। क्या करता वो किसी से भी जन्मदिन की बधाई ले कर। वो तो कब का अंदर से मर चुका था। पूरे दो महीने और सात दिन हो गये थे। बस निस्प्राण ही तो था। क्यूँकी उसकी जान तो उसे छोड़ कर कब का जा चुकी थी। इसिलिए उसने अपना फ़ोन रात साढ़े ग्यारह
एक नामुकम्मल दास्तां

(भाग: तृतीय (प्रथम))

अनुशिर्षक में पढ़ें माँ ने उसे कम से कम पच्चीस बार फ़ोन मिलाया होगा। हर बार एक ही ज़वाब, "जिस ग्राहक से आप बात करना चाह रहे हैं, वो या तो बंद है या पहुँच से बाहर है" आता था। आज उसका जन्मदिन था। पर वो तो सुबह ही घर से निकल गया था ये बोल के कि वो सीधे रात को आयेगा घर और उसका फ़ोन भी दिन भर बंद रहेगा। क्या करता वो किसी से भी जन्मदिन की बधाई ले कर। वो तो कब का अंदर से मर चुका था। पूरे दो महीने और सात दिन हो गये थे। बस निस्प्राण ही तो था। क्यूँकी उसकी जान तो उसे छोड़ कर कब का जा चुकी थी। इसिलिए उसने अपना फ़ोन रात साढ़े ग्यारह