जब देश करोना से रुक गया था.. वो देश के खातिर,जंग में झुक गया था.. तुम और हम जब थालियां बजा रहें थें..! वो दुश्मनों की गोलियां खा रहें थें..!! तुम और हम घर बैठें मजे लुट रहें थें.. एक एक कर उनके दम तुट रहें थें.. तुम और हम जब थालियां बजा रहें थें..! वो दुश्मनों की गोलियों खा रहें थें..!! मिडिया भी थालियां बजाते,देशभक्ति दिखा रहीं थीं.. तब, शहीदों की डोली,सज कर घर जा रहीं थीं.. तुम और हम जब थालियां बजा रहें थें..! वो दुश्मनों की गोलियों खा रहें थें..!! ना तुझे खबर थीं,ना मुझे खबर थीं.. रो रहीं जमीं,बनकर शहीदों की कबर थीं.. तुम और हम जब थालियां बजा रहे थें..! वो दुश्मनों की गोलियों खा रहें थें..!! ना तुझे गम हुआ, ना मुझे गम हुआ.. और ना मिडिया का TRP कम हुआ.. तुम और हम जब थालियां बजा रहें थें..! वो दुश्मनों की गोलियों खा रहें थें..!! सबको थालियां बजाता,देशभक्त नज़र आ रहा था.. उधर एक एक कर,देश जवान खो रहा था.. तुम और हम जब थालियां बजा रहें थें..! वो दुश्मनों की गोलियों खा रहें थें..!! सुनो शहीदों,तुम अमर हो,हम ना तुमको भूलेंगे..! मिट्टी के खातिर,हम तुमको याद कर के लड़ेंगे..!! तुम और हम जब थालियां बजा रहें थें..! वो दुश्मनों की गोलियों खा रहें थें..!! ©Ibrahim Khan #NojotoHindi #ChattisgarhAttack #VoDusmanKiGoliyanKhaRaheThe