उमंग ए सहमे हुए मायूस इन्सान.... वक़्त का तकाजा किसी का मोहताज नहीं होता लाख ढाह ले सित्तम कोई जालिम जीत का इरादा किसी का गुलाम नहीं होता तूं बुलंद अपनी आवाज तो कर उमंगों को जहन में आबाद तो कर सनक की इन कातिल वादियों में से आशा के रंगीन गुल खिलेंगे कितना भी गरूर क्यों ना मुसीबत को खुद पर सुबह के बिछडे पंछी शाम को जरूर मिलेगें तूं हौंसले से ऊंची उड़ान तो भर उमंगो को जहन में आबाद तो कर अगर सजाई है उस खुदा ने नायाब रंगों से इस कायनात को तो उजडने भी नहीं देगा मुस्कराते फूलों से भरे इस बाग को तूं पाक दिल से फरियाद तो कर उमंगो को जहन में आबाद तो कर #जज्बा