कुछ बातें अधूरी रहती हैं कुछ जज़्बात अनकहे रहते हैं मंजिल के इतने नज़दीक आकर भी छोड़ना पड़ता है सफर को क्यूंकि हम एक सभ्य समाज़ में रहते हैं वो सभ्य समाज़ देख सकता है दहेज़ की आग में जलती बेटियाँ अनचाहे रिश्ते ढोते बेटे पर वो सभ्य समाज नही देख सकता प्रेम विवाह... मन की ड़ोर से बँधी दो रुह इतने नज़दीक आकर भी... #नज़दीकआकरभी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi