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तेरी राहें तकते तकते मेरी आँखें पथरा जाती है माल

तेरी राहें तकते तकते मेरी 
आँखें पथरा जाती है 
मालूम नहीं चलता है कि 
रात्रि के अंधकार के बाद कब 
सूरज की रौशनी निकल आती है 
जहाँ भी ढूँढू तुझे मैं 
तू वहीं नज़र आती है 
हाथ बढ़ा के छूना जो चाहूँ 
तो तू हवा में गुम हो जाती है 
हर रोज दुआओं में माँगा करता हूँ 
पर मेरी दुआएँ भी कहाँ रंग लाती है 

तेरा इंतजार करते करते मेरी 
आँखें पथरा जाती है #आँखें #पथरा #जाती #है
तेरी राहें तकते तकते मेरी 
आँखें पथरा जाती है 
मालूम नहीं चलता है कि 
रात्रि के अंधकार के बाद कब 
सूरज की रौशनी निकल आती है 
जहाँ भी ढूँढू तुझे मैं 
तू वहीं नज़र आती है 
हाथ बढ़ा के छूना जो चाहूँ 
तो तू हवा में गुम हो जाती है 
हर रोज दुआओं में माँगा करता हूँ 
पर मेरी दुआएँ भी कहाँ रंग लाती है 

तेरा इंतजार करते करते मेरी 
आँखें पथरा जाती है #आँखें #पथरा #जाती #है