हे गणेश गणपति गजानन मेरी पूजा तुझको अर्पण हे लंबोदर, हे विघ्नहर्ता, दुख मेरे तू, क्यों नहीं हर्ता। करता हूँ मैं तेरा स्मरण, मेरा सब तुम्हीं को अर्पण। ध्यान तेरा नित मैं करता, तू ना रूठे हित मैं करता। मैं ध्याऊँगा,तू आयेगा, मैं आस लगाए रहता हूँ। हे गजानन, गौरीनंदन, करता हूँ तुझको समर्पण। मेरी पूजा तुझको अर्पण।। Diwan G #गणेश