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क्या बेचकर हम खरीदे फुर्सत ऐ" जिंदगी, सब कुछ तो ग

क्या बेचकर हम खरीदे फुर्सत ऐ" जिंदगी,

सब कुछ तो गिरवी मे पड़ा है

जिम्मेदारी के बाजार में

.

                          मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा, *क्या #बेचकर हम खरीदे "#फुर्सत_ऐ" जिंदगी* 

*सब कुछ तो "#गिरवी"पड़ा है #जिम्मेदारी के बाजार में,
क्या बेचकर हम खरीदे फुर्सत ऐ" जिंदगी,

सब कुछ तो गिरवी मे पड़ा है

जिम्मेदारी के बाजार में

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                          मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा, *क्या #बेचकर हम खरीदे "#फुर्सत_ऐ" जिंदगी* 

*सब कुछ तो "#गिरवी"पड़ा है #जिम्मेदारी के बाजार में,