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अकसर मै मुखवटा लगा लेता था की कोई मुझे भी पसंद करे

अकसर मै मुखवटा लगा लेता था की कोई मुझे भी पसंद करे
पर मे ही पागल था ये ना समझ सका की वो मुजसे नहीं, मेरी मुस्कुराहट से खुश थे
- अपूर्ण 
#अपूर्ण
अकसर मै मुखवटा लगा लेता था की कोई मुझे भी पसंद करे
पर मे ही पागल था ये ना समझ सका की वो मुजसे नहीं, मेरी मुस्कुराहट से खुश थे
- अपूर्ण 
#अपूर्ण