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निकले थे ख़्वाब ढूंढने, हम भी तो कई मुकाम पे ,पर

 निकले थे ख़्वाब ढूंढने, हम भी तो
 कई मुकाम पे ,पर आज तक मिले नहीं।

 क़िस्मत ख़राब थी,किसको कुसूर दें,
 इक कारवां गुज़र गया ,मंज़िल तलाशते।
 
 गुलशन तो आज भी, सुर्खी में खिल रहे हैं , 
 दिलों की सादगी में,अब पहले जैसी बात नहीं।

©Anuj Ray
   # निकले थे ख़्वाब ढूंढने,
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator

# निकले थे ख़्वाब ढूंढने, #ज़िन्दगी

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