कितना अजीब होता है, ये दिल समझाना। प्यार का दीप जला कर, उसे बुझाना। दो तरह की सोच में , फँसता चला जाता है। जो दिल दे बैठी उसे छोड़, दूसरी को चाहता है। आशाएं मेरी दो तरह की हो गयी ह्, किसी न किसी के ख्यालो में तो खो गयी है। तुम्हारा नही तो ,उसका साथ तो पाना है, किसी एक को तो अपना बनाना है। ombir phogat #poem 4