तुम्हें अकेले चलना है मन ! भरा,भाव से पंथ तुम्हारा तर्कशील है यह जग सारा किसकी राह चले जाओगे जब घेरेगा एकाकीपन ? तुम्हें अकेले चलना है मन ! सच है, सारे नाते झूठे जग के बंधन टूटे-टूटे गहरा हर्ष-विषाद तुम्हारा समझेगा जग निर्मम ? तुम्हें अकेले चलना है मन ! ©अनुपमा विन्ध्यवासिनी #writingsofanupma #nojoto #hindikavita #poetry #hindipoetry