शाम भी सुहागन होना चाहती हैं दिवाकर के इश्क में खोना चाहती हैं दिन भर वो भी जलता रहता जुदाई में फिर मौका देख मांग भर देता चुपके से तन्हाई में डूबते डूबते दे जाता है ऐसा खामोश प्यार जिसका शाम , सुबह से ही करने लगती है इंतजार ©s गोल्डी शाम भी सुहागन होना चाहती हैं दिवाकर के इश्क में खोना चाहती हैं दिन भर वो भी जलता रहता जुदाई में फिर मौका देख मांग भर देता चुपके से तन्हाई में डूबते डूबते दे जाता है ऐसा खामोश प्यार जिसका शाम , सुबह से ही