Unsplash चलो आज कुछ हक जताते है तुम पर, अपनी चाहत की हद दिखाते है जमीं पर। सीने में सांसों की धमनियों के जैसी, मेरी जिंदगी में तुम हो रोशनियों के जैसी। भूल जाने की भी भूल किस तरह होगी हमसे, जहन में रहती हो तुम हमेशा मेरी खुदी बनकर। (चाहत) ©Chahat Kushwah #library फ्रेंड्स कोट्स