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ज़रा संभल कर "जनाब" दीवारों के भी कान होते हैं, शह

ज़रा संभल कर "जनाब" दीवारों के भी कान होते हैं,

शहरों में लोग नही सिर्फ़ मकान होते हैं।
तखल्लुस- "जनाब"
@Kshitij rastogi #haqeeqat
#quote
#dewaronkebhikaanhotehain
#zindagi
#theflowofpoetry
ज़रा संभल कर "जनाब" दीवारों के भी कान होते हैं,

शहरों में लोग नही सिर्फ़ मकान होते हैं।
तखल्लुस- "जनाब"
@Kshitij rastogi #haqeeqat
#quote
#dewaronkebhikaanhotehain
#zindagi
#theflowofpoetry