विपदा के बादल छाये कलयुग उमड़ घुमड़ कर आये सब ही रोगी भोगी निकले झूठे चोर फरेबी निकले जिनके हाथो न्याय का पर्चा वो ही बडे खिलाडी निकले कहाँ जाये, कहाँ जाया जाये कहाँ सुकून को पाया जाये अब अपनों मे डर लगता है हैवान नजर संग चलता है बच कर जाना जान बचाने मुर्दा भी हाथ पकड़ता है मानवता धुंधलाती जाती है सच्चाई ना नजर मे आती अच्छाई की कीमत थू है सब का कारण मैं और तू है वो आई और चली गई किसी और को ना जाने देना ममता का हाथ पकड़ लेना किस्सा ना दोहराने देना #nirbhaya2 ©deshank sharma #deshank #hindi #Life हिंदी कविता