कई बाग ऊज़ार दिए चमकी ने, और क़हर अभी भी जारी है... कैसे लाचार सी बैठी है व्यवस्था, तिव्र गती से फैल रही ये महामारी है... दो सौ से ज्यादा गोदें सूनी हो गई, बिलख रहा बाप रोती महतारी है... कहने को तो विकसीत हो गए हम, फिर ये कैसे लापरवाही कैसी लाचारी है... भगवान दिवंगत बच्चों के परिजन को शक्ति दे 😢😢🙏🙏 chamki bukhar 😢😢