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लग जा गले याद सभी को आती होगी, अपनी मां की स्नेहिल

लग जा गले याद सभी को आती होगी,
अपनी मां की स्नेहिल-गोद
उनकी भर आती होगीं आंखे,
नही है जिनकी कोई मां।।

बात-बात पे लड़ना और झगड़ना,
याद सभी को होगी प्यारी-बहना। 
बन जाती ममता की दूसरी मूरत,
होते जब भी हम कभी बीमार।।

बन जीवन-संगनी रहती पास,
मुश्किलों में देती सदा वो साथ।
मान हार हो जाते जब निराश,
आलिंगन कर दिखाती नई राह।।

छोटे-छोटे संकटों से जब जाते हार,
कभी भाई तो दोस्त कभी देते साथ।
मग़र इक बात बतलाओ जरा कोई,
क्या पापा का गले लगाना है याद?

सबकी जरूरत का रखते ध्यान।
करते बिन जताये जो सबसे प्यार
क्रोध,दया के जो हैं सच्चे सागर,
ऐसे पिताओं को बारम्बार प्रणाम।।

                                                  #आलोक_अग्रहरि

©आलोक अग्रहरि मेरे पापा
लग जा गले याद सभी को आती होगी,
अपनी मां की स्नेहिल-गोद
उनकी भर आती होगीं आंखे,
नही है जिनकी कोई मां।।

बात-बात पे लड़ना और झगड़ना,
याद सभी को होगी प्यारी-बहना। 
बन जाती ममता की दूसरी मूरत,
होते जब भी हम कभी बीमार।।

बन जीवन-संगनी रहती पास,
मुश्किलों में देती सदा वो साथ।
मान हार हो जाते जब निराश,
आलिंगन कर दिखाती नई राह।।

छोटे-छोटे संकटों से जब जाते हार,
कभी भाई तो दोस्त कभी देते साथ।
मग़र इक बात बतलाओ जरा कोई,
क्या पापा का गले लगाना है याद?

सबकी जरूरत का रखते ध्यान।
करते बिन जताये जो सबसे प्यार
क्रोध,दया के जो हैं सच्चे सागर,
ऐसे पिताओं को बारम्बार प्रणाम।।

                                                  #आलोक_अग्रहरि

©आलोक अग्रहरि मेरे पापा