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#औरत हूँ मैं हमेशा दबायी गई हूँ # कभी दीवारों में

#औरत हूँ मैं हमेशा दबायी गई हूँ #

कभी दीवारों में  चुनवाई गई हूँ ,
कभी हीरों में तुलवाई गई हूँ |

मैं औरत थी मर्दों के बराबर  कब थी ,
सो मलिका कह के बुलवाई गई हूँ |

मिरे जिस्म  का था हर बार  तक़ाज़ा, 
मैं हर एक कदम पे  बहकाई गई हूँ|
 
मुक़द्दस हैं सभी रिश्ते जो मेरे, 
तो क्यूँ बाज़ार में लाई गई हूँ ?

मिरी हर सोच पर पहरे लगे हैं ,
कहाँ ज़ी-अक़्ल कहलाई गई हूँ| 

बना कर आइना 'शाकिब', मुझको 
निशाना  पत्थर का ठहराई गई हूँ|||

©शाकिब अहमद "राहिल" #औरत #बेबसी #दरिंदे  pooja negi# Ritika suryavanshi puja jodhpur  Saleha ashfaq  शेखर सिंह आजमगढ़ी
#औरत हूँ मैं हमेशा दबायी गई हूँ #

कभी दीवारों में  चुनवाई गई हूँ ,
कभी हीरों में तुलवाई गई हूँ |

मैं औरत थी मर्दों के बराबर  कब थी ,
सो मलिका कह के बुलवाई गई हूँ |

मिरे जिस्म  का था हर बार  तक़ाज़ा, 
मैं हर एक कदम पे  बहकाई गई हूँ|
 
मुक़द्दस हैं सभी रिश्ते जो मेरे, 
तो क्यूँ बाज़ार में लाई गई हूँ ?

मिरी हर सोच पर पहरे लगे हैं ,
कहाँ ज़ी-अक़्ल कहलाई गई हूँ| 

बना कर आइना 'शाकिब', मुझको 
निशाना  पत्थर का ठहराई गई हूँ|||

©शाकिब अहमद "राहिल" #औरत #बेबसी #दरिंदे  pooja negi# Ritika suryavanshi puja jodhpur  Saleha ashfaq  शेखर सिंह आजमगढ़ी