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पूछो ना हम क्या मेहसूस कर आए है .. बस इतना समझो ख़

पूछो ना हम क्या मेहसूस कर आए है .. 
बस इतना समझो ख़ैर से लौट आए है !! 

कोई ग़फ़लत के आलम में मसरूफ़ हैं ..
हम हक़ीक़त का आईना देख आए है !!

काँटो से दामन का उलझना मारूफ़ है .. 
हम तो फूलों से भी सुलझ नहीं पाए है !!

शुक्र करना है ज़रूर वक़्त का तकाज़ा .. 
हम अगर गर्दिश में सब्र न कर पाए है !!

लफ़्ज़ों की जादूगरी आतिश बाज़ी सही .. 
जमील कहाँ लगी आग बुझा आए है !!

©Jameel Sayyed #DarkCity #ghazal #Shayari #urdu_poetry #urdu #Adab
पूछो ना हम क्या मेहसूस कर आए है .. 
बस इतना समझो ख़ैर से लौट आए है !! 

कोई ग़फ़लत के आलम में मसरूफ़ हैं ..
हम हक़ीक़त का आईना देख आए है !!

काँटो से दामन का उलझना मारूफ़ है .. 
हम तो फूलों से भी सुलझ नहीं पाए है !!

शुक्र करना है ज़रूर वक़्त का तकाज़ा .. 
हम अगर गर्दिश में सब्र न कर पाए है !!

लफ़्ज़ों की जादूगरी आतिश बाज़ी सही .. 
जमील कहाँ लगी आग बुझा आए है !!

©Jameel Sayyed #DarkCity #ghazal #Shayari #urdu_poetry #urdu #Adab