पिता अनगिनत जिम्मेदारियों का भंडार हैं वो जो प्रदर्शित नहीं किया जा सका,वही प्यार हैं वो बच्चों में दीखता संस्कार है वो मजबूत भावों का भंडार हैं वो जिस माँ से पूरा संसार है उस माँ का पूरा संसार हैं वो एक अदृश्य शक्ति है जिसे न समझा जा सके,ऐसा व्यक्ति है वो मेहनत,त्याग,पराक्रम का अनूठा संगम हैं वो कठोर अनुशासन का आश्रम हैं वो हिम्मत की पक्की गवाही हैं वो दिल से निकली स्याही हैं वो संघर्ष से निखरा व्यक्तित्व है सख्ती मे भी करुणा का आदर्श अस्तित्व हैं परिवार के कष्टों की चिंता हैं वो हां हां पिता हैं वो ©Rawal Singh Rajpurohit परिभाषा पिता की।। बेबाक की कलम से #पिता #परिभाषा #कवीता #father