"जवानी" इतनी सस्ती तक हमारी जवानी नही जो तेरी दो दिन की मोहब्बत के लिए मिटा दे हाँ अगर मिटा भी दी हमने तेरी मोहब्बत में अपनी जवानी तो सिर्फ जाया जाने बाली हमारी जवानी जो मिटाई अगर हमने वतन-ए-मोहब्बत में अपनी जवानी तो अमर होने बाली है हमारी जवानी (✍️zubair ansari) मेरी #poetry