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स्त्री, तुम एक किताब हो और पुरुष पाठक रखना चाहता ह

स्त्री,
तुम एक किताब हो
और पुरुष पाठक
रखना चाहता है वह तुम्हें अपने सिरहाने
लगाना चाहता है अपने सीने से
और पढ़ना चाहता है तुम्हें बार-बार
मगर समझना नहीं चाहता
कतराता है नजरें मिलाने से
वो बचना चाहता है प्रेम की आत्मीयता से
वो सोना चाहता है तुम्हारे साथ
पर खुलकर जीना नहीं
वो विचलित होता है तुम्हारी दृढ़ता से
क्योंकि तुम बस एक किताब हो
और उसे कहानी नहीं
किरदार बनकर जीना पसंद है.

 Anuup Kamal Agrawal जी की कविता से प्रेरित होकर...
A #collaborative #effort
#मेरी_जबानी #किरदार #expression #yqdidi
स्त्री,
तुम एक किताब हो
और पुरुष पाठक
रखना चाहता है वह तुम्हें अपने सिरहाने
लगाना चाहता है अपने सीने से
और पढ़ना चाहता है तुम्हें बार-बार
मगर समझना नहीं चाहता
कतराता है नजरें मिलाने से
वो बचना चाहता है प्रेम की आत्मीयता से
वो सोना चाहता है तुम्हारे साथ
पर खुलकर जीना नहीं
वो विचलित होता है तुम्हारी दृढ़ता से
क्योंकि तुम बस एक किताब हो
और उसे कहानी नहीं
किरदार बनकर जीना पसंद है.

 Anuup Kamal Agrawal जी की कविता से प्रेरित होकर...
A #collaborative #effort
#मेरी_जबानी #किरदार #expression #yqdidi