अजीब सी बेचैनी है नहीं पता कौन सी बात किनसे कहनी है हम खुली किताब हैं या हैं एक गहरा राज यह भी एक पहेली है मेरे सपने बड़े हैं पर पता नही कहाँ अंधेरा और कहाँ रोशनी है मान तो लिया है मैंने पर अब तो जगानी आवाज़ अंदरूनी है कोई न होगा साथ ये बात भी अब स्वीकारना जरूरी है मायूस है कुछ चेहरे न तो कोई शिकन और न ही हंसी है ©Ritesh Kumar #Ritesh_Poetry #Ritesh_Vibes #Inspiration #Khuli_Kitaab #Paheli