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मेरी रंगहीन ज़िन्दगी में, खूबसूरत कलाकारी निभा गई.

 मेरी रंगहीन ज़िन्दगी में,
खूबसूरत कलाकारी निभा गई..!

वो कौन थी जो मुझे,
जीने का सलीका सीखा गई..!

न देख पाता था,
मक्कारी से भरी दुनियाँ को..!

मेरी बंद आँखों को नई,
रौशनी की किरण थमा गई..!

मेरी रूह में बन के फरिश्ता,
वो इस कदर समा गई..!

दुःख की नगरी को बदल,
खुशियों के नगर में..!

मेरी बिखरी ज़िन्दगी को,
बड़ा खूबसूरत बना गई..!

©SHIVA KANT
  #wokaunthi