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हमारा अंतिम संस्कार भी होगा, ये बदन चार कंधों पर स

हमारा अंतिम संस्कार भी होगा,
ये बदन चार कंधों पर सवार भी होगा,
बेशक़ चिता भी एक दिन हमारी जलेगी,
उन अंजाने चेहरों में ज़रूर ग़म भी होगा,
किसी को ज़्यादा किसी को कम भी होगा,
टूटेगी डोर संग जिंदगी के हमारे भी ज़रूर,
सिलसिला अकेलेपन का ख़तम भी होगा,
नम अंजाने बज़्म की आंखें भी होंगी,
भींगी बरसातें भी होंगी,
ना जाने कितनों से मुलाकातें भी होंगी,
रोता सिसकता उस दिन ये गगन भी होगा,
हमारे बेजान जिस्म पर कफ़न भी होगा,
मटके में सिमटी हमारी अस्थियां भी होंगी,
बह भी जाएंगे आंचल में,
माँ गंगा के ज़रूर मगर,
ना ज़रूरत ना चाहत ना ही अब कोई आस,
हमें किसी झूठे रिश्तों की,
कि अब गैरों के बाहों मे ही सही,
अर्थी तो ज़रूर उठेगी हमारी,
एक दिन अर्थी तो ज़रूर उठेगी।। घमंड का बादल घंघोर छाया,
मेरे सारे अपनों में ऐसा,
कि वक्त के मार ने कर दी,
असलियत बयां सबकी,
कौन अपना कितना अपना सा,
कौन अपना कितना अपना सा।।
हमारा अंतिम संस्कार भी होगा,
ये बदन चार कंधों पर सवार भी होगा,
बेशक़ चिता भी एक दिन हमारी जलेगी,
उन अंजाने चेहरों में ज़रूर ग़म भी होगा,
किसी को ज़्यादा किसी को कम भी होगा,
टूटेगी डोर संग जिंदगी के हमारे भी ज़रूर,
सिलसिला अकेलेपन का ख़तम भी होगा,
नम अंजाने बज़्म की आंखें भी होंगी,
भींगी बरसातें भी होंगी,
ना जाने कितनों से मुलाकातें भी होंगी,
रोता सिसकता उस दिन ये गगन भी होगा,
हमारे बेजान जिस्म पर कफ़न भी होगा,
मटके में सिमटी हमारी अस्थियां भी होंगी,
बह भी जाएंगे आंचल में,
माँ गंगा के ज़रूर मगर,
ना ज़रूरत ना चाहत ना ही अब कोई आस,
हमें किसी झूठे रिश्तों की,
कि अब गैरों के बाहों मे ही सही,
अर्थी तो ज़रूर उठेगी हमारी,
एक दिन अर्थी तो ज़रूर उठेगी।। घमंड का बादल घंघोर छाया,
मेरे सारे अपनों में ऐसा,
कि वक्त के मार ने कर दी,
असलियत बयां सबकी,
कौन अपना कितना अपना सा,
कौन अपना कितना अपना सा।।
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