#खोटी लड़की #KL अनवर अंकल पिता के दोस्त थे, पर उम्र में उनसे छोटे थे। बिल्कुल पास-पास घर थे हमारे, उनकी अम्मी बहुत ही नेक दिल और खुदा की राह पर चलने वाली औरत थी।हम सब गली के लोग प्यार से और मिल जुल कर रहते थे, अचानक ही अनवर भाई कानपुर से जयपुर क्यों आ गये मुझे पता नहीं था। मैं उस समय 8 साल की थी, आज इतने सालों बाद अनवर अंकल को देखा तो उनकी अम्मी से भी मिलने को जी करने लगा। अनवर अंकल पहले तो मुझे डालते रहे, मुझे लगा कोई तो बात है जो वो मुझे बताना नहीं चाहते। आखिर में मैं जीती उन्हें मुझे अपने घर लेकर जाना पड़ा घर का दरवाजा खुला तो मैं स्तब्ध रह गई ये तो वही थी खोटी लड़की। सारा मोहल्ला उस लड़की से नफरत करता था, मगर मुझे उसकी समझदारी हमेशा खींचती थी। केवल 18 साल की थी वो जब हमारे मोहल्ले में आई थी। सब औरतें उसे खोटी लड़की कहकर उसके चरित्र को उछालती थी,वह चुपचाप सब कुछ सुनती और सहती थी। सपनों भरे तारों की प्यारी पगडंडी पर, वह माटी किसी दीप की बाती बनी थी .... तेल में फिर तिल तिल जली वो,सहमते सहमते हर तूफान से लड़ी वो......