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शीर्षक - सेल्फी आओं मिलकर चार सहेलियां, खिंच लें

शीर्षक - सेल्फी 

आओं मिलकर चार सहेलियां,
खिंच लें मुस्कान भरी तस्वीर।
वक्त कहां संभाल कर रखेगा,
चटकीले सौंदर्य की शमशीर।

स्वर्णिम आभा से परिपूर्ण,
सुशोभित तन पर अलंकार।
सज रंग बिरंगे परिधानों में,
खनकती खुबसूरती चंद्राकार।

यूं सहेजकर रखी गई यादें,
होती है अरसे बाद अनमोल।
अपने एक चित्र में भर दीजिए,
भाव भंगिमा तन मन के बोल।

गांव घर आंगन में होगी गरीबी,
दिख रही है मुस्कान भरी अमीरी।
कर कंगन, शीश फूल, पट केसरी,
महके लिपटी चंदन पर वल्लरी।

कैद हो गई फोन से सेल्फी में, 
हमारी सुंदरता बनकर इतिहास।
कालातीत आंखों में रहेंगी यादें,
सखियों की हंसी ठिठोली परिहास।

डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान।

©Dr. Bhagwan Sahay Meena
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