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शब्दों के खेल में उलझ के रह गए हम, जो हमारा नहीं ह

शब्दों के खेल में उलझ के रह गए हम,
जो हमारा नहीं हो सकता, उसी के हो गए हम।
बेवफ़ा-ए-इश्क में बहुत कुछ देखना था,
लाचारी देखो, उसी इश्क में अंधे हो गए हम।। ज़िन्दगी में अगर सब कुछ मिल जाए तो तम्मन्ना किसकी करोगे............।

#पीड़ा #यादोंकासन्दुक #पुरानीकहानी #वो
शब्दों के खेल में उलझ के रह गए हम,
जो हमारा नहीं हो सकता, उसी के हो गए हम।
बेवफ़ा-ए-इश्क में बहुत कुछ देखना था,
लाचारी देखो, उसी इश्क में अंधे हो गए हम।। ज़िन्दगी में अगर सब कुछ मिल जाए तो तम्मन्ना किसकी करोगे............।

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