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रंग-ओ-रस की हवस और बस  मसअला दस्तरस और बस यूं बुन

रंग-ओ-रस की हवस और बस 
मसअला दस्तरस और बस

यूं बुनी हैं रगें जिस्म की 
एक नस टस से मस और बस 

उस मुसव्विर का हर शाहकार
साठ-पैंसठ बरस और बस 

सब तमाशा-ए-कुन-ख़त्म-शुद
कह दिया उसने बस और बस 

#AmmarIqbal










 .

©Raushni Tripathi रंग-ओ-रस की हवस और बस 
मसअला दस्तरस और बस

यूं बुनी हैं रगें जिस्म की 
एक नस टस से मस और बस 

उस मुसव्विर का हर शाहकार
साठ-पैंसठ बरस और बस 
रंग-ओ-रस की हवस और बस 
मसअला दस्तरस और बस

यूं बुनी हैं रगें जिस्म की 
एक नस टस से मस और बस 

उस मुसव्विर का हर शाहकार
साठ-पैंसठ बरस और बस 

सब तमाशा-ए-कुन-ख़त्म-शुद
कह दिया उसने बस और बस 

#AmmarIqbal










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©Raushni Tripathi रंग-ओ-रस की हवस और बस 
मसअला दस्तरस और बस

यूं बुनी हैं रगें जिस्म की 
एक नस टस से मस और बस 

उस मुसव्विर का हर शाहकार
साठ-पैंसठ बरस और बस