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*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“19/10/2021”*📝 ✨*“मंगलवार”

*📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘*“19/10/2021”*📝
✨*“मंगलवार”*🌟

इस “संसार” में हर “वस्तु” के, 
हर “परिस्थिति” के,हर “भाव” के दो “पहलू” होते है,
इसमें “बदलाव” आता है केवल “दृष्टिकोण” द्वारा,
अब यदि कोई “व्यक्ति” है जो “पर्वत” पर खड़ा है
 तो उसे ये ही लगेगा कि जो ये “जल की धारा” है 
वो “समुद्र की ओर” बह रही है, दूसरा “व्यक्ति”
 जो “समुद्र” के पास खड़ा है उसे लगेगा कि ये धारा 
“समुद्र की ओर” आ रही है, बात यहा है “दृष्टिकोण” की,
अब यहीं “समय के साथ” भी होता है कई बार “मनुष्य” जो है वो “चिंतित” रहता है,कि उसके पास समय बहुत कम है,उसमें वो कुछ कर नहीं सकता,
“थोड़ा और समय” होता तो अच्छा होता,
वो ऐसे भी सोच सकता है 
कि “कुछ ही सही" समय “श्रेष्ठ” तो है,
अर्थात जो “बचा” है उसे “बचाया” भी जा सकता है,
इसमें “जीवन” बसाया भी जा सकता है
 तो ये निर्भर करता है आप पर, 
तो “दृष्टिकोण” शुभ रखिए,
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘 *“19/10/2021”*📝
✨ *“मंगलवार”*🌟

#“संसार” 

#“वस्तु”
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘*“19/10/2021”*📝
✨*“मंगलवार”*🌟

इस “संसार” में हर “वस्तु” के, 
हर “परिस्थिति” के,हर “भाव” के दो “पहलू” होते है,
इसमें “बदलाव” आता है केवल “दृष्टिकोण” द्वारा,
अब यदि कोई “व्यक्ति” है जो “पर्वत” पर खड़ा है
 तो उसे ये ही लगेगा कि जो ये “जल की धारा” है 
वो “समुद्र की ओर” बह रही है, दूसरा “व्यक्ति”
 जो “समुद्र” के पास खड़ा है उसे लगेगा कि ये धारा 
“समुद्र की ओर” आ रही है, बात यहा है “दृष्टिकोण” की,
अब यहीं “समय के साथ” भी होता है कई बार “मनुष्य” जो है वो “चिंतित” रहता है,कि उसके पास समय बहुत कम है,उसमें वो कुछ कर नहीं सकता,
“थोड़ा और समय” होता तो अच्छा होता,
वो ऐसे भी सोच सकता है 
कि “कुछ ही सही" समय “श्रेष्ठ” तो है,
अर्थात जो “बचा” है उसे “बचाया” भी जा सकता है,
इसमें “जीवन” बसाया भी जा सकता है
 तो ये निर्भर करता है आप पर, 
तो “दृष्टिकोण” शुभ रखिए,
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘 *“19/10/2021”*📝
✨ *“मंगलवार”*🌟

#“संसार” 

#“वस्तु”
atulsharma6011

Atul Sharma

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