बूंद बूंद करके """""""""""""" बूंद बूंद करके जो मिलता है ज्ञान तुम्हें दिल में समेट लिया करो। चांद की रोशनी मिलती है अगर, अमावस्या की रात भी, आंखों में समेट लिया करो। मंद मंद हवाएं बहती है अगर तुम्हारे करीब से, अपनी सांसों में पीरोलिया करो। कहानी किस्मत की ऐसे ही नहीं लिखी जाती, खुशी और गम को चुपचाप पी लिया करो। तुम भी शबनम हो इस कायनात के, मुस्कुराते हुए हर पल जी लिया करो। ख्वाहिशें तो बहुत होगी दिल में , फटे लम्हों को मन के धागों से सी लिया करो । आसमान भी और जगह ढूंढ रहा है , सपनों को दायरे में समेट लिया करो। बूंद बूंद करके जो मिलता है ज्ञान तुम्हें, दिल में समेट लिया करो।। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! प्रमोद मालाकार की कलम से !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ©pramod malakar #बूंद बूंद करके