जिसे तुम आईना कहते हो, हम उसे सच्चाई कहते हैं। जिसे तुम धूप कहते हो, हम उसे परछाई कहते हैं।। तुम क्या सोचते हो कि हम अनजान हैं। अरे मेरे दोस्त। जिसे तुम अपनी जीत कहते हो, उसे हम अपना तजुर्बा कहते है।। Writing by-UTTAM MISHRA...... According to me....