हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया दानव बन तूने एक माँ का प्राण लिया पेट में नन्हा पल रहा था माँ बाहर खाना खोजने निकल पड़ी दानव ने फल में बारूद मिला दिया उस नासमझ हथिनी ने भूख से उसे खा लिया मुँह में विस्फोट हो गया जबड़ा भी उसका टूट गया एक सप्ताह बाद तरप -तरप कर वो मर गई पेट में पल रहा नन्हा बच्चा भी न जी सका हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया कहने को तो सबसे साक्षर राज्य है केरल पर कैसे लोग जो निकृष्टतापूर्ण कार्य किया इससे तो निरक्षर ही भला जो जीवन को समझ रहा गर्भवती माँ के साथ- साथ गर्भ का भी जान लिया एक दिन नरक तू जायेगा जैसा कुकृत किया कैसा हैवानियत तेरे सिर पे छा गया एक जानवर के साथ तूने घिनौना काम किया मानव होके भी तू जानवर से भी बदतर हुआ कलंकित मानवता को तो तूने कर दिया तू भटक-भटक कर मर जायेगा कोई न तुझे अपनायेगा हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया (संगीत कुमार /जबलपुर ) ✍ स्वरचि 🙏🙏🌹 हे मानव तूने कैसा घिनौना काम किया दानव बन तूने एक माँ का प्राण लिया पेट में नन्हा पल रहा था माँ बाहर खाना खोजने निकल पड़ी दानव ने फल में बारूद मिला दिया उस नासमझ हथिनी ने भूख से उसे खा लिया मुँह में विस्फोट हो गया जबड़ा भी उसका टूट गया एक सप्ताह बाद तरप -तरप कर वो मर गई