हौले हौले शनै शनै एक दिन,दिन वो आ ही जाता है, कर सफ़र ज़िन्दगी का पूरा,इंसा मौत को गले लगाता है, आया है तो जाना ही है,हौले हौले सबको समझ में आता है, पर क्या इस सफ़र में इंसा, कर्तव्य कर्म सही से निभाता है? यही बात अधिक महत्व की है,पर हर इंसा ये समझ नहीं पाता है।। अपने रचाए हुए चक्रव्यूह में,खुद ही फंसता जाता है, फिर चाहे भी तो निकल नहीं पाता,इतना धंसता जाता है, अनेक विकल्प होते हैं पास हमारे,पर हमारा चयन ही हमारा भाग्य निर्धाता है।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand हौले हौले शनै शनै #KEEPSMEGOING