खोये खोये रहते है इस बात पर सूरज देता है रोशनी क्यों हर हालात पर, कितने दुख दिए है हम उसको अनजाने में पागल हर बार मुझे माफ़ कर देती है वो समझाने में , कैसे भूलूंगा उसके इस अहसान को । अगर वो न रही तो कैसे जी पाऊंगा इस जहांन पर, मर जाता हूं उसके एक अल्फ़ाज़ पर जब कहती है तुम्ही तो हो मेरे एक इस जहांन पर । सरकार