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तुम्हारे ना होने पर ख़ुद को ख़ुद ही सवार रहा हूँ मैं

तुम्हारे ना होने पर ख़ुद को ख़ुद ही सवार रहा हूँ मैं ।
बड़ी देर तलक़ डूबा रहा था मैं तेरे इश्क़ में ,
अब मोहब्बत का नशा धीरे-धीरे उतार रहा हूँ मैं ।
तुम्हारे साथ होने पर भी अब तुम्हे सुकून नही मिलता,
इसलिए तेरा होके भी तन्हा जिंदगी गुजार रहा हूँ मैं । ye tanhai maar dalegi
तुम्हारे ना होने पर ख़ुद को ख़ुद ही सवार रहा हूँ मैं ।
बड़ी देर तलक़ डूबा रहा था मैं तेरे इश्क़ में ,
अब मोहब्बत का नशा धीरे-धीरे उतार रहा हूँ मैं ।
तुम्हारे साथ होने पर भी अब तुम्हे सुकून नही मिलता,
इसलिए तेरा होके भी तन्हा जिंदगी गुजार रहा हूँ मैं । ye tanhai maar dalegi