मेरे दायरे आसमान से बंधे नहीं है ना उफ़क़ मेरी दहलीज का कोना है मेरे अंदर ब्रह्म भी है ब्रह्मांड भी और वक़्त भी मेरी साँसों के साथ चलता है मैं सृजन सुनता हूँ, देखता हूँ मैं संहार महसूस करता हूँ किसी झरने की तरह जिसका अस्तित्व बस रवानी है और मैं भी गतिमान हूँ सहील की तरह जिसकी लहरों पर भूत भी भविष्य है और रेत पर भविष्य भी भूत मेरे दायरे आसमान से बंधे नहीं है ना उफ़क़ मेरी दहलीज का कोना है उदासियाँ @ मैं ।।। शाइस्ता 9 ©Mo k sh K an #उदासियाँ_the_journey #शाइस्ता #Zen #poem #Poetry #Hindi #Nojoto