लबों पर मुस्कान देखी अन्दर नहीं देखा यारों ने अभी गम-ए-समन्दर नहीं देखा। कितना हसीं हुस्न है देखा है आप सबने मर-मर कर जिंदा लाशें-मन्जर नहीं देखा। बनाया मुसाफ़िर शीशमहल सुंदर आपने पर इस वक्त के हाथों में पत्थर नहीं देखा। दर-बदर भटका 'अनिल' तलाशे-मुहब्बत पर दिल-दरग़ाह झांककर अंदर नही देखा अहम विकार नष्ट होता जगते-समष्टि से दिल्लगी-परिधि समूल समर्पण नही देखा। रूह हितार्थ रूह तड़पती रक्त-अश्रु लिए दिल का दिल को अभी अर्पण नही देखा। कभी न गिरे नफ़रते-दिवार मनमंदिर से यदि दिले-जहां प्रेम मूरत को नहीं देखा। बंदगी है खुदा की हसीं मुहब्बत जहां में परेशां दिल जो खुद सूरत को नहीं देखा। 💖🧡♥️💞💗❣️💗💞♥️🧡💖 ©Anil Ray लबों पर मुस्कान देखी अन्दर नहीं देखा यारों ने अभी गम-ए-समन्दर नहीं देखा। कितना हसीं हुस्न है देखा है आप सबने मर-मर कर जिंदा लाशें-मन्जर नहीं देखा। बनाया मुसाफ़िर शीशमहल सुंदर आपने पर इस वक्त के हाथों में पत्थर नहीं देखा। दर-बदर भटका 'अनिल' तलाशे-मुहब्बत पर दिल-दरग़ाह झांककर अंदर नही देखा