मेरे गाँव का बूढ़ा पीपल का पेड़, जो मेरे घर की दहलीज़ पर पड़ा है। ना जाने वो कितने दिन से खड़ा है। बचपन से मै उसे ऐसे ही पाता हूँ। जब भी मै अपने गाँव मे जाता हूँ। थोड़ा सा फ़र्क उसमे जरूर आया है। बड़े हुए तने उसके और बढ़ी छाया है। पंथी और पंछी को वहाँ सुकून मिलता है। भीषण गर्मी में जब पत्ता भी नहीं हिलता है। किन्तु जब पतझड़ का मौसम आता है। वह विकराल दैत्य कंकाल नज़र आता है। वहाँ पूजा की थाली और प्रसाद भेंट चढते हैं। सब लोग प्यार से उसे ब्रह्म देव कहते हैं..!! #MeraShehar मेरे गाँव का बूढ़ा पीपल का पेड़, जो मेरे घर की दहलीज़ पर पड़ा है। ना जाने वो कितने दिन से खड़ा है। बचपन से मै उसे ऐसे ही पाता हूँ। जब भी मै अपने गाँव मे जाता हूँ। थोड़ा सा फ़र्क उसमे जरूर आया है। बड़े हुए तने उसके और बढ़ी छाया है।