कश्तियाँ डूबी तो जाकर ये इल्म हुआ कुछ देर किनारे पर ठहरना था हमें वक़्त रहते वक़्त की कद्र भी नहीं किया बदला मौसम तो लगा बदलना था हमें हवा ने यूँ नहीं तोड़ा मुझको डाली से इस सहरा से पहले जलना था हमें इसीलिए कुछ देर पहले मैं घर से निकला बिखरे पत्थरों को राह से हटाना था हमें ठोकरों को ठोकर समझा ही नहीं कभी हमें चलना था तो बस चलना था हमे मेरा गिरना भी उस ख़ुदा की रज़ा थी वैसे गिरकर ही सम्हलना था हमें कस्ती-नाव सहरा-जंगल #कस्तियाँ #किनारा #ख़ुदा #yqlove #yqlife #yqhindiurdu