मैं पथिक हूँ, राह पर चलती रहूँगी, मैं कुसुम हूँ, शूल पर खिलती रहूँगी, मंज़िलें मुझको मिलेंगी, मोह-माया से लिपटती, साधना को ध्वस्त करके, रूप का अंबार भरती, तप्त ज्वाला, ज्वार में भी, साधना करती रहूँगी, मैं पथिक हूँ, राह पर चलती रहूँगी। आँधियाँ तूफ़ान आएँ, ज़िन्दगी में आग बनकर, क्रन्दनों का गान छाए, ज़िन्दगी में राग बनकर, आफ़तों के ज्वार में भी, व्याघ्र बन लड़ती रहूँगी, मैं पथिक हूँ, राह पर चलती रहूँगी। #Nojoto #Poetry #Kavishala #मैं_पथिक_हूँ