नोक- झोंक (अनुशीर्षक में पढ़ें) नोंक-झोंक "हद है यार ये तुम छोटी छोटी बातों पर मुँह क्यों फुला लेती हो?" रितेश चिढ़कर बोला। अब बोलोगी भी या मैं जाऊं ऑफिस। "ऑफिस जाओ या भाड़ में जाओ" रितिका ने गुस्से से कहा। "यार एक तो कल से मुँह फुलाये हो और दूसरे सुबह सुबह गालियाँ दे रही हो, बताती भी नही अजीब लड़की हो।" रितेश फाइलें पटकते हुए बोला। "ओ हो हो शादी से पहले मैं तो तुम्हें अप्सरा लगती थी अब तुम्हें मैं अजीब लगती हूँ?" रितिका और ज्यादा चिढ़ते हुए बोली।