शहर की भीड़ शहर की भीड़ से अलग है ,हम सुन्दर उपवन जैसे गांव से है , जहां हम रिश्तों की डोर बधी ,हम एक नदी में बहती नावँ से है ! आज शहरों की सड़को की मायाजाल उम्र से लम्बी लगती है, भावनाये और रिश्ते की रसधार जहाँ नालों में सस्ते में बहती है !! जब बदल गया इंसान जहाँ आधुनिकता के व्यापक दावँ से है , अच्छा है आडम्बर के शहरों से नही ,हम आज भी गावँ से है .!! शहर की सुबह शाम दोपहर का कुछ आज गया ज्ञात नही , जिंदगी में आज भीड़ बहुत है ,पर यथार्थ में कोई साथ नही ! सुख सुविधाओं की धमाचौकड़ी पर सच के सुख का ज्ञान नही , इंसान बहुत है परन्तु यहाँ ,सुख दुख भांप सके ऐसा इंसान नही !! नगरों में वृक्षों की बिम्ब से ज़्यादा,उच्च मंजिल की छांव से है , अच्छा है आडम्बर के शहरों से नही ,हम आज भी गांव से है !! शहर आदमी की पहचान नही ,यहाँ पहचान तो रुपया -पैसा है , कोई किसी का जहाँ सगा नही है ,जहाँ फ़िक्र नही कौन कैसा है !! शोर शराबों की गलियों में आज जहाँ सोने का भी वक़्त नही.. , सैकड़ो मरते है रोज यहाँ पर ,पर दो आंसू भी रोने का वक़्त नही !! निर्मम ,निर्दयी और घृणा से पतन पथ पर निकले जिनके पावँ से है, राहुलअच्छा है आडम्बर के शहरों से नही ,हम आज भी गांव से है.. #Bheed शहर की भीड़ से अलग है ,हम सुन्दर उपवन जैसे गांव से है , जहां हम रिश्तों की डोर बधी ,हम एक नदी में बहती नावँ से है ! आज शहरों की सड़को की मायाजाल उम्र से लम्बी लगती है, भावनाये और रिश्ते की रसधार जहाँ नालों में सस्ते में बहती है !! जब बदल गया इंसान जहाँ आधुनिकता के व्यापक दावँ से है , अच्छा है आडम्बर के शहरों से नही ,हम आज भी गावँ से है .!! शहर की सुबह शाम दोपहर का कुछ आज गया ज्ञात नही ,