सबकी जान को खतरा बता रहे हो सबको अपने पास मिलने भी बुला रहे हो इतने मासूम तो आप नहीं हो जनाब बेचारी जनता को इतना क्यों बरगला रहे हो न रैलियां बंद हो रही हैं,न मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा न किसान आन्दोलन हटा, न ही भीड़ सर तन से जुदा देते नारा जो चपेट में आ रहा है,बस पिस रहा है और पछता रहा है बंद करो ये राजनीति के ड्रामे, पहले लोगों को तो बचाओ जागो राजनेताओं, धर्म गुरुओं और इन सबके आकाओं सबकी जान ख़तरे में है, कुछ तो हृदय में तुम्हारे भाव आए किसको शान दिखाओगे अपनी, जब देश घुटनों भी न चल पाए